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चाइल्ड लाइन ने चार मासूम बच्चियाें को नरक से निकाला

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चाइल्ड लाइन ने चार मासूम बच्चियाें को नरक से  निकाला
भूख, लाचारी व बीमारी का जीवन जी रही थी चार मासूम बच्चियां
यमुनानगर। चाइल्ड लाइन पर सूचना मिली कि आदि बद्री क्षेत्र के एक गाँव में 4 छोटी बच्चियां जिनमे सबसे बड़ी की उम्र 12 साल है। भूख व बीमारी के हालात में गंदगी के माहौल में बड़े ही दयनीय हालात में रह रही हैं। एक बच्ची की हालत तो बहुत ही खराब है। चाइल्ड लाइन की निदेशिका डॉ अंजू बाजपई व कॉर्डिनेटर भानू प्रताप पुलिस टीम के साथ वहां पंहुचे तो बच्चियों की दुर्दशा देख कर सन्न रह गए।चाइल्ड लाइन के कोऑर्डिनेटर भानू प्रताप ने बताया कि एक बच्ची बहुत बीमार है। उसके शरीर पर जगह जगह जख्म हैं जो कि बहुत बुरी तरह सड़ चुके हैं। सभी बच्चियां भूख व असुरक्षा के माहौल में पल रही थी। इस पर चाइल्ड लाइन ने चारों को रेस्क्यू करवा कर उनको प्राथमिक उपचार के बाद 3 बच्चियों को बालकुंज भेज दिया गया। और चौथी लड़की जिसकी हालात बहुत नाजुक थी उसको ट्रामा सेंटर में भर्ती करवाया गया है जहां पर उसका इलाज चल रहा है।
चाइल्ड लाइन की निदेशिका डॉ अंजू बाजपई ने बताया कि जांच के दौरान आस पास के लोगों ने बताया कि बच्चियों के पिता अब इस दुनिया में नही हैं। ये सात बहने हैं एक नानी के पास रहती है दो ताऊ व ताई के पास रहती हैं और ये चार माँ के साथ रहती हैं परंतु मां इनका बिल्कुल भी ध्यान नही रखती हालात इतने खराब हैं कि बच्चों ने कई दिन से भर पेट खाना भी नही खाया। लोगों ने बताया कि माँ बच्चीयों को छोड़ कर कई कई दिन घर से गायब रहती है। घर में गंदगी व सड़न का माहौल है। डॉ अंजू बाजपई ने बताया कि बच्चियों ने काउन्सलिंग के दौरान बताया कि माँ तो कभी खाना देती ही नहीं व ना ही हमारा ध्यान रखती है। जब चाइल्ड लाइन की टीम वहां पंहुची तब भी माँ वहां नही थी और बच्चियां कूड़े के ढ़ेर पर खेल रही थी। टीम करीब दो घंटे वहां रही माँ का तब भी कोई अता पता नही चला। डॉ अंजू बाजपई ने बताया कि ना तो बच्चियां स्कूल जाती हैं ना आंगनवाड़ी सेंटर पर जाती हैं ये दिन भर ऐसे ही बुरे हालातों में असुरक्षित घूमती रहती हैं इसलिए इनको चाइल्ड लाइन व पुलिस के द्वारा रेस्क्यू करवाया गया है। आगे की कार्यवाही बाल कल्याण समिति के दिशा निर्देश के अनुसार होगी।