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देखो हवाएं बदल रही हैं – डा. संजीव जुनेजा की जीवंत कविता

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देखो हवाएं बदल रही हैं – डा. संजीव जुनेजा की जीवंत कविता

चंडीगढ़़। देश में चल रहे इस लंबे लोक डाउन को कई एंटरप्‍न्‍याेरस बड़े पॉजिटिव तरीके से लिया है और इस दौरान उनके छिपे हुए टैलेंट भी सामने आए हैं । यहां पर हम बात कर रहे हैं चंडीगढ़ के डॉक्टर संजीव जुनेजा की, जिनके डॉक्टर ऑर्थो, पेट सफा, सच्ची सहेली, और रूप मंत्रा जैसे बड़े-बड़े ब्रांड हैं। इन्होंने आज के हालात पर कविता लिखकर सब को जागृत करने की कोशिश की है और भारत की एकता एवं अच्छे प्रदर्शन का संदेश दिया है। अपनी कविता के माध्यम से जुनेजा जी ने बताने की कोशिश की है कि जिस बहादुरी से पुलिस डॉक्टर और स्वयंसेवकों ने इसको रोना युद्ध से लड़ने का संकल्प लिया वह प्रशंसनीय है वास्तव में अगर हर देशवासी इस तरह से सकारात्मक रवैया से इस जंग को आगे बढ़ाएं तो जीत निश्चित है और नजदीक है।


देखो हवाएं बदल रही हैं…
इल्जाम था जिन पर
कि ईमान नहीं है जिनमें बाकी
तेरी सलामती को
अपनी जान की बाजी लगाये खड़ी है वो खाकी
देखो हवाएं बदल रही हैं…
लांछन था जिन पर कि
साहिब वार्ड में राउंड पर भी नहीं हैं आते
वही सफेद कोट वाले तुझे बचाने
सड़क पर पत्थर भी तुमसे हैं खाते
देखो हवाएं बदल रही हैं…
तुझे भूखा देख जहां
किसी और का भी मन आज रोता है
आदम जात का है वो रब
जो तेरे लिए रोज़ चौराहों पर लंगर ढ़ोता है
देखो हवाएं बदल रही हैं…
यह मैं हूं… यह हिंदुस्तान है मेरा
जो हमदर्दी और मोहब्बत जताना जानता है
यह सारा परिवार है मेरा
जो हर दुख में साथ निभाना जानता है
देखो हवाएं बदल रही हैं…
अरे… इम्तिहान की इस घड़ी में
इंसानियत का धर्म निभाओ यारो
कुछ दाग है तो क्या
उन्हें कालिख ना बनाओ यारो
देखो हवाएं बदल रही हैं…