Home धर्म | समाज रसोई की शुद्धता बदल सकती है मानव जीवन : इंद्रेश

रसोई की शुद्धता बदल सकती है मानव जीवन : इंद्रेश

0
रसोई की शुद्धता बदल सकती है मानव जीवन : इंद्रेश
भगवत महापुराण की आरती करते श्रद्धालु
भागवत कथा में हुई भगवान श्री कृष्ण के जन्म की चर्चा
यमुनानगर हलचल। भगवान परशुराम समुदायिक केंद्र गोविंदपुरी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान वृंदावन से आए कथा व्यास स्वामी इंद्रेश जी महाराज ने कहा कि जीवन में यदि रसोई शुद्ध नहीं है तो कुछ भी शुद्ध नहीं हो सकता। जीवन में रसोई का शुद्ध होना अति आवश्यक है क्योंकि जैसा हम खाएंगे हम वैसा रहेगा हमारा मन।
भगवान को यदि भोग भी लगाना है तो भी शुद्ध रसोई का होना अति आवश्यक है रसोई ऐसी शुद्ध होनी चाहिए जहां सिर्फ सात्विक खाना ही तैयार होता हो। भगवान का प्रसाद स्वास्तिक रूप से लगाया जाए। ऐसा प्रसाद तैयार किया जाए जिसमें लहसुन प्याज व अन्य कोई भी तामसी गुणों वाली सामग्री ना हो। कुछ लोग कहते हैं कि उनसे प्याज और लहसुन नहीं छोड़ा जा सकता। इस पर स्वामी इंद्रेश जी महाराज का कहना था कि छोड़ा तो यह शरीर भी नहीं जा सकता लेकिन फिर भी छोड़ना पड़ता है।
यदि परमात्मा के साथ अपने संबंध बनाने हैं तो सात्विक रूप अपनाना होगा सात्विक रसोई बनानी होगी तभी बच्चों को भी सात्विक संस्कार मिलेंगे और उनकी रूचि अध्यात्म में होगी। स्वामी इंद्रेश जी महाराज ने कहा कि भागवत कथा हो या अन्य कोई कथा हो सभी में यही तो बताया जाता है कि हमें सात्विक रूप से रहना है। श्रीमद् भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन है। भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप में वृंदावन में अनेकों लीलाएं की। कोई असुरों को मारा और धर्म की स्थापना की। भगवान श्री कृष्ण ने द्वारिका जी में जाकर द्वारिकाधीश बंद कर एक राजा का कर्तव्य निभाया।
स्वामी जी ने बताया कि किस प्रकार भगवान श्री कृष्ण का जन्म विपरीत परिस्थितियों में महाराज कंस के कारागार में हुआ। कंस को पता था कि उसकी बहन की आठवीं संतान उसका कॉल होगी इसलिए उसने एक-एक कर अपनी बहन देवकी की सभी संतानों का वध किया। जब भगवान श्री कृष्ण का अवतार हुआ तब वासुदेव जी महाराज भगवान श्री कृष्ण को यमुना के रास्ते गोकुल ले गए और जहां जननी माया को वे अपने साथ मथुरा कारागार में ले आए।
यहां आने पर जब महाराज कंस को पता चला कि देवकी ने इस बार फिर कन्या को जन्म दिया है तो वह हैरान हो गया और उसने कहा कि इस बार तो देवकी की अष्टम संतान जो कि मेरा काल है को बालक रूप में जन्म लेना था। फिर भी कन्या संतान को कंस ने मारने का प्रयास किया तो कन्या संतान कंस के हाथ से छूटकर आकाश में चले गए और जाते-जाते भविष्यवाणी कर गए कि तुम्हें मारने वाला तो ब्रजभूमि में जन्म ले चुका है। इसके बाद तो कंस ने है अत्याचार करने और भी अधिक शुरू कर दिए। इस दौरान कंस ने भगवान श्री कृष्ण का वध करने के लिए अनेक असुरों को भेजा लेकिन सभी को भगवान श्री कृष्ण ने मार गिराया।
स्वामी इंद्रेश जी महाराज ने बताया कि किस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने असुरों का वध घर उन्हें मुक्ति प्रदान की। कथा के दौरान भजन गायक सुरेश धमाका द्वारा भजन अमृत वर्षा के गए तथा पंडित कमल कांत शर्मा द्वारा मूल भागवत का पाठ संपन्न करवाया गया। कथा का शुभारंभ व विश्राम भागवत महापुराण की आरती के साथ किया गया। विश्राम के समय श्रद्धालुओं द्वारा प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर राकेश त्यागी नैका मायाराम शर्मा परीक्षित त्यागी श्यामलाल त्यागी अजय त्यागी प्रवीण शर्मा प्रदीप बख्शी राजन दुग्गल सुरेश कुमार राकेश कुमार अरुण त्यागी कुकुला करुणा रेखा सुधा कुसुम बाला पूनम अक्षय वर्मा आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहेेे।