Home कृषि | किसान रसायनिक उर्वरकों के इस्‍तेमाल से मानव स्वास्थ्य व प्राणियों पर दुष्प्रभाव पड़ता है : डा. काम्बोज

रसायनिक उर्वरकों के इस्‍तेमाल से मानव स्वास्थ्य व प्राणियों पर दुष्प्रभाव पड़ता है : डा. काम्बोज

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रसायनिक उर्वरकों के इस्‍तेमाल से मानव स्वास्थ्य व प्राणियों पर दुष्प्रभाव पड़ता है : डा. काम्बोज
#यमुनानगर_हलचल। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र दामला द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. बी.आर काम्बोज मुख्य अतिथि रहे। डा. बीआर काम्बोज ने कृषकों का आह्वान करते हुए संदेश दिया कि किसान भाइयों को कम लागत में अधिक मुनाफा कैसे कमाया जाए इस बारे में विस्तार से बताया तथा फसल अवशेषों को भूमि में ही दबाने से फसल अवशेषों को पशुओं को खिलाने तथा पशुओं के गोबर को खेत में मिलाने से ही भूमि में कार्बन जीवांश को बढ़ाया जा सकता है अन्यथा इसकी पूर्ति करना असंभव है रसायनिक उर्वरकों द्वारा किसान की लागत अत्यधिक बढ़ जाती है तथा मुनाफा बहुत घट जाता है, इसका मानव स्वास्थ्य व प्राणियों पर दुष्प्रभाव पड़ता है तथा रसायनिक उर्वरकों का लगातार इस्तेमाल करने से भूमि में अन्य पोषक तत्वों की कमी होने लगती है, यदि फसल अवशेषों को भूमि में नहीं मिलाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हमें देखने को मिलेगा कि जब किसान को सभी 17 आवश्यक पोषक तत्व बाहरी माध्यम से ही डालने पड़ेंगे जिसका परिणाम यह होगा कि फसल लागत मूल्य बहुत बढ़ जाएगा तथा आमदनी बहुत घट जाएगी।  उन्होंने यह भी बताया कि जो किसान धान की पराली या फसल अवशेषों को आग लगा देते हैं वह कार्बनिक पदार्थ व उसमें उपस्थित पोषक तत्वों का नुकसान तो करते ही हैं साथ ही साथ बहुत सारे मित्र कीट जो भूमि में शरण लिए हुए होते हैं वह भी नष्ट हो जाते हैं जो फसल  में नुकसान दाई कीड़ों को खाते हैं । वह कीड़े जो फसल को परागण में सहायता करते हैं वो भी नष्ट हो जाते हैं तथा भूमि में उपस्थित जीवांश भी ज्यादा गर्मी उत्पन्न होने से नष्ट हो जाते हैं जो कि उर्वरकों को पौधे के लिए उपलब्ध कराते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ.एन.के गोयल ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि किसानों को फसल अवशेषों का प्रबंधन विभिन्न प्रकार से करना चाहिए जैसे कि उसका कंपोस्ट तैयार करना, केंचुए की खाद बनानी, फसल अवशेष कंपोस्ट तैयार करनी, खुंबी उत्पादन में भी उसका इस्तेमाल किया जाना, पशु चारे के लिए भी इसका प्रबंधन करना, पेपर उद्योगों को बढ़ावा देना, प्रेसमड कंपोस्ट भी तैयार करनी चाहिए तथा उन्होंने इनके विभिन्न लाभों को विस्तार से बताया  वानिकी विशेषज्ञ अनिल कुमार ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरूक किया तथा फसल अवशेषों को जलाने से निकला हुआ धुआ मानव स्वास्थ्य पर भी गहरा असर छोड़ता है जिसके परिणाम स्वरूप आंखों में जलन, सांस लेने में घुटन, एलर्जी, श्वास से संबंधित बीमारियां स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। डॉक्टर गोविंद प्रसाद ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन करने वाली मशीनों जैसे हैप्पी सीडर, पैड़ी स्ट्रॉ चॉपर, मल्चर रोटावेटर, जीरो ड्रिल व रोटरी स्लाइसर आदि के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। इस अवसर पर प्रशिक्षण सहायक डॉक्टर करण सिंह सैनी, डॉ अंकुश काम्बोज सब्जेक्ट मैटर स्पेशलिस्ट डॉक्टर अजीत व लगभग 50 प्रगतिशील किसानों ने हिस्सा लिया।