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मानव सेवा में सिख गुरुओं ने लगाया अपना जीवन

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मानव सेवा में सिख गुरुओं ने लगाया अपना जीवन

हरियाणा हलचल। डेरा उदासीन ब्रह्म अखाड़ा पिहोवा लोक भलाई ट्रस्ट मांडी साहिब में गुरुनानक देव जी के सुपुत्र बाबा श्रीचंद देव जी के 526वें प्रकाशोत्सव पर महान संत समागम आयोजित किया गया। इसमें डेरा मुखी संत बाबा गुरविंद्र सिंह के सान्निध्य में सिख पंथ की जत्थेबंदियों, रागी ढाड़ी जत्थों व संतों ने अपने प्रवचनों से बाबा श्रीचंद व सिखी इतिहास से संगत को रूबरू कराया। कार्यक्रम में खेल एवं युवा मामले मंत्री संदीप सिंह ने बतौर मुख्यातिथि हिस्सा लिया।

खेलमंत्री ने कहा कि संत बाबा गुरविंद्र सिंह ने डेरा के माध्यम से युवा पीढ़ी को नशे, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या आदि सामाजिक बुराइयों से दूर करके धर्म से जोडक़र लोक कल्याण का जो कार्य किया है, वह सराहनीय है। अध्यात्म व संस्कृति दोनों धाराओं की रक्षा के लिए सिख गुरुओं ने अपना जीवन लगाया।

गुरु गोबिंद सिंह ने अपना पूरा वंश अपनी आंखों के सामने धर्म की रक्षा के लिए वार दिया। इसी तरह बाबा श्रीचंद ने भी पूरे संसार में घूमकर विकारों में फंसे लोगों को सत्य की राह दिखाई। उन्होंने कहा कि जिसमें भाव नहीं है। वह मानव नहीं पत्थर है। इसलिए जवानी को समाज की सेवा में और बुढ़ापे को सिमरन में लगाएं। खेल मंत्री ने डेरा उदासीन को अपनी निजी कोष से पांच लाख रुपये समाज सेवा कार्यों के लिए देने की घोषणा की। डेरा की ओर से खेल मंत्री को शिरोपा पहनाकर सम्मानित किया गया।

समागम में डेरा मुखी संत बाबा गुरविंद्र सिंह ने कहा कि जब धरती पर बाबा श्रीचंद का अवतरण हुआ तो गुरुनानक देव जी के आदेश पर ही उन्होंने सिखी परंपरा को आगे बढ़ाया। मानव सेवा के क्षेत्र में सिख धर्म ने गुरुनानक देव जी के दिखाए गए रास्ते पर चलकर पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि सिख धर्म की खासियत है कि जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आई तो गुरु का सिख आगे सेवा भाव में सबसे आगे खड़ा मिला।

कार्यक्रम में दरबार साहिब अमृतसर के हजूरी रागी भाई मनिंद्र सिंह, गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब के लुधियाना के हजूरी रागी भाई नरिंद्र सिंह, बीबी मनदीप कौर व संदीप कौर पट्टी वाले, भाई प्रीत पाल सिंह सहित कई रागी ढाडी जत्थों ने गुरबाणी से संगत को निहाल किया।

इस मौके पर जत्थेदार बाबा कुलदीप सिंह, महंत महेश मुनि बड़ा अखाड़ा उदासीन, जत्थेदार मेजर सिंह, खेल मंत्री के पिता स. गुरचरण सिंह, बाबा तरसेम दास दनौली वाले, बाबा गुरजीत सिंह, बाबा संदीप सिंह, प्रिंसिपल डॉ. मेजर सिंह खैहरा, गुरजिंद्र सिंह बैंस, अजमेर सिंह खैहरा, शूगर केन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य डॉ. जसविंद्र खैहरा, करण गिल, लवप्रीत सिंह खैहरा, ज्ञानी नवनीत सिंह, महंत प्रताप दास, महंत लखबीर दास, लवजोत सिंह, बलजिंद्र सिंह खैहरा, मनु खैहरा सहित संगत ने गुरु दरबार में हाजरी भरी।