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Yamunanagar : अंतिम किरया कर्म में भी शोषण, प्रशासन करे कर्मकांड के रेट तय

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Yamunanagar : अंतिम किरया कर्म में भी शोषण, प्रशासन करे कर्मकांड के रेट तय

शमशान घाट में लगी हो कर्मकांड के रेट की सूची

Yamunanagar Hulchul (Ravinder Punj) : कोरोना काल में आम आदमी का आर्थिक रूप से भी जीना मुश्किल हो रहा है। सरकार व प्रशासन द्वारा कोरोना से पीढि़त लोगों को राहत देने के लिए लगभग हर क्षेत्र में दाम निर्धारित किए गए हैं। ताकि उससे अधिक पैसा लेकर कोई उनका शोषण न कर सके।

वहीं दूसरी ओर कर्मकांड के क्षेत्र की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते कोरोना से मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के समय शमशान घाट में उपस्थित चार्जी (कर्मकांडी पंडित) मनमाने रेट वसूल रहे हैं। आम आदमी का कहना है कि इस दिशा में भी सरकार को ध्यान देना चाहिए और अंतिम कर्मकांड कराने के लिए या तो सरकार अपनी ओर से वहां पर चार्जी की नियुक्ति करे या फिर जो भी चार्जी वहां पर उपस्थित हो उनके कर्मकांड के रेट निर्धारित करे। जिससे आम आदमी का शोषण न हो सके।

शासन व प्रशासन को चाहिए कि रेट का निर्धारण कर हर शमशान घाट पर इसकी सूची भी लगवाई जाए ताकि जरूरतमंद को पता हो कि उसके मृतक परिजन के संस्कार पर क्या खर्चा आने वाला है। देखा गया है कि यहां चार्जी अंतिम संस्कार करवाने के लिए मुंह मांगे दाम ले रहे हैं और रिश्तेदारों के सामने शर्म से परिजन कुछ कह भी नहीं पाते।

कई बार तो यहां चार्जियों के साथ पैसो के लेनदेन को लेकर झगड़े व बहस हो जाती है। आखिरकार पीढि़त को ही झुकना पड़ता है। यमुना घाट पर पीढि़त अजय कुमार व जगाधरी शमशान घाट पर पीढि़त प्रमोद ने बताया कि चार्जी ने उनसे मुंहमांगे दाम मांगे हैं जबकि संस्कार की पद्धति में भी उनकी संतुष्टि नहीं हो रही है।

उनका कहना था कि 2 मिनट में ही चार्जी सभी काम करवा रहा है और अंत्येष्टि करने को कह देता है। इसके बदले 5 हजार रूपए तक भी वसूल किए जा रहे हैं। बाद में मोलभाव करने पर 2 से 5 हजार तक जहां भी सौदा बनता है, वही तय कर लेते हैं। अंतिम संस्कार के बाद जब अस्थि संग्रह करने जाते हैं तब चार्जी उनसे और भी अधिक पैसे मांगता है जबकि एक बार जब संस्कार के समय उसने पैसे ले लिए तो बाद में उसके कोई पैसे नहीं बनने चाहिए।

हालांकि सभी चार्जी एक जैसे नहीं हैं। कुछ चार्जी मदद करने को भी तैयार रहते हैं और यदि पैसे न भी हो तो भी अंतिम संस्कार करवाते हैं। फिर भी लोगों का कहना था कि शासन व प्रशासन इस दिशा में भी काम करे और अंतिम संस्कार के समय होने वाले कर्मकांड के भी पैसे निर्धारित कर इसकी सूची लगाई जाए। यदि रेट फिक्स हो तो अच्छा होगा।

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