Home Jagadhri Amadalpur : 100 कुंडीय यज्ञ कथा भागवत कथा में आए दिन बढ़ रहे श्रद्धालु

Amadalpur : 100 कुंडीय यज्ञ कथा भागवत कथा में आए दिन बढ़ रहे श्रद्धालु

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Amadalpur : 100 कुंडीय यज्ञ कथा भागवत कथा में आए दिन बढ़ रहे श्रद्धालु
Amadalpur : हवन यज्ञ करते पुरोहित।

कथा से पूर्व हवन में डाली जा रही आहुतियां

Yamunanagar Hulchul (Amadalpur) : जिले के गांव अमादलपुर के प्राचीन सूर्य कुंड मंदिर में चल रहे 100 कुंडीय हवन यज्ञ तथा श्रीमद् भागवत कथा में श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है। आए दिन श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है।दूरदराज से भी श्रद्धालु यहां हवन यज्ञ के लिए बने मंडप को देखने पहुंच रहे हैं तथा विशेष रूप से संध्या के समय सूर्य कुंड की आरती में भाग ले रहे हैं।

हर रोज यहां होने वाले महायज्ञ में लगभग ढाई सौ से 300 साधु संत आहुतियां डाल रहे हैं। शाम को होने वाली आरती विशेष रुप से श्रद्धालुओं के मन को मोह रही है। हवन यज्ञ के उपरांत होने वाले भागवत यज्ञ में कथा करते हुए कथा व्यास 10 वर्षीय सुखदेव ऋषभदेव जी महाराज श्रद्धालुओं को श्रीमद् भागवत कथा से भावविभोर कर रहे हैं।

श्रीमद् भागवत कथा करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म विपरीत परिस्थितियों में होता है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार भगवान श्री कृष्ण के पिता वासुदेव जी को मथुरा के राजा कंस ने कारागार में डाल रखा था और तुम यह होने वाली हर संतान को वह  मार देता था।

कथा व्यास का कहना था कि जब भी इस पृथ्वी पर धर्म का नाश होने लगता है तो धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए भगवान किसी ना किसी रूप में प्रकट होते हैं और धर्म की स्थापना करते हैं। उन्होंने बताया कि धर्म की हमेशा ही विजय होती है कुछ समय के लिए धर्म परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं। भगवान हमेशा अपने भक्तों की लाज रखते हैं उसके लिए चाहे उन्हें अपनी प्रतिज्ञा भी क्यों न छोड़ने पड़े।

ऋषभदेव जी ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने से ही मनुष्य के विचार सकारात्मक हो जाते हैं और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। उनका कहना था कि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना उतना ही लाभदायक है जितना कि श्रवण कराना। इस मौके पर जिले के ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों व प्रांतों से भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

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